Rohtash Verma

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Feb-2023

तुलसी 

जैसे ही प्रातः की भोर उठी
सर्दी से सिकुड़ी सी थी
मां ने जगाया पूरे घर को
भाभी ठंड में जुड़ी सी थी
चाय चढ़ाते
पूजा करते
मन में जो फरियाद आई।
आंगन की तुलसी याद आई।

सब पौधे मुरझा गए
तुलसी सर्द से टकराई
औषधि में
देवालयों में
स्थान उचित था पा आई
तन में जब अवसाद आई।
आंगन की तुलसी याद आई ।

कान्हा के चरणों में खिली
हर घर को महक मिली
सुहागन प्यारी
बच्चियां, कुंवारी
सबके मन पर आजाद छाई।
आंगन की तुलसी याद आई।।

रोहताश वर्मा 'मुसाफ़िर'

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10 Comments

Gunjan Kamal

01-Mar-2023 08:46 AM

बहुत सुंदर

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Rohtash Verma

14-Jun-2023 09:02 PM

Ji thanks very much 🥰

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Abhinav ji

22-Feb-2023 07:48 AM

Very nice 👍

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Rohtash Verma

23-Feb-2023 08:01 AM

जी तहेदिल से बहुत धन्यवाद आपका 💐

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Varsha_Upadhyay

21-Feb-2023 06:01 PM

Nice

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Rohtash Verma

23-Feb-2023 08:02 AM

दिल से शुक्रिया आपका मैम 💐

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